- रविवार को गुजरात हाईकोर्ट ने राजकोट के टीआरपी गेम ज़ोन में हुई दुखद आग की घटना पर स्वतः संज्ञान लिया है। जिसकी वजह से कम से कम 27 लोगों की मौत हो गई।
- हाई कोर्ट ने कहा अखबार की रिपोर्ट के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार ऐसे गेम ज़ोन सुविधाओं का निर्माण करने के अलावा उन्हें बिना अनुमति के उपयोग में लाया गया है। प्रथम दृष्टि से यह एक मानव निर्मित आपदा है, जिसमें बच्चों की मासूम जान चली गई है और आज परिवार अपने परिवारों में हुई मौतों पर शोक मना रहे हैं।
- आग ने टीआरपी गेम ज़ोन की दो मंजिला इमारत को अपनी चपेट में लिया, जहाँ गर्मियों की छुट्टियों की भीड़ के कारण लगभग 300 लोग मौजूद थे जिसमें से ज़्यादा तर बच्चे थे। इस घटना को इंडियन एक्सप्रेस, द टाइम्स, द मिरर, द हिंदू इन सभी अखबारों ने प्रकाशित किया।
- एडवोकेट अमित पंचाल ने इन सभी समाचार पत्रों को न्यायाधीश के सामने रखा और न्यायालय को सूचित किया की राजकोट में टीआरपी गेम ज़ोन ने। आवश्यक अनुमतियाँ प्राप्त नहीं करी थी। विशेष रूप से अग्निशमन विभाग से। उन्होंने तर्क दिया कि निगम को Necessary Approval के बिना सुविधा को संचालित करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी। उन्होंने इस घटना को अधिकारियों की घोर लापरवाही करार दिया है।
न्यायालय ने अपने आदेश में दर्ज किया:
- “आज हम राजकोट शहर में हुई एक दुर्भाग्यपूर्ण त्रासदी के कारण यहां एकत्रित हुए हैं। स्थानीय और राष्ट्रीय समाचार पत्रों में कई लेख छपे हैं, जिनसे पता चलता है कि राजकोट में गेमिंग जोन में जाने के दौरान मासूम बच्चों की जान चली गई है।
- हम समाचार पत्रों में छपी उन खबरों को पढ़कर स्तब्ध हैं, जिनमें बताया गया है कि राजकोट के गेमिंग जोन ने गुजरात व्यापक सामान्य विकास नियंत्रण विनियम (जीडीसीआर) की खामियों का फायदा उठाया है, जिससे अवैध मनोरंजक गतिविधियों का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
- जैसा कि समाचार पत्रों में कहा गया है, ये मनोरंजन क्षेत्र सक्षम प्राधिकारियों से आवश्यक अनुमोदन लिए बिना बनाए गए हैं।
- कुछ गुजराती समाचार पत्रों ने यह भी सुझाव दिया है कि अनुमति/अग्निशमन एनओसी और/या निर्माण की अनुमति लेने में आने वाली कठिनाइयों से बचने के लिए अस्थायी ढांचे बनाए गए हैं, जो जाहिर तौर पर टिन शेड हैं।
- राजकोट शहर के अलावा, अखबार की रिपोर्ट से हम इस तथ्य का न्यायिक संज्ञान लेते हैं कि अहमदाबाद शहर में सिद्धूभवन रोड से एसजी हाईवे और एसपी रिंग रोड पर ऐसे गेम जोन बन गए हैं जो सार्वजनिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गए हैं। खास तौर पर मासूम बच्चों के लिए।
- कुछ समाचार पत्रों ने यह भी बताया कि राजकोट गेमिंग जोन में पेट्रोल, टायर और फाइबर ग्लास शीट जैसी अत्यधिक ज्वलनशील सामग्री का भंडार था।
- हमने अखबार में छपे इन लेखों के आधार पर इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लिया है और इन लेखों के आधार पर रजिस्ट्री को निर्देश दिया है कि वह जनहित याचिका में इस मामले पर स्वतः संज्ञान ले।
- न्यायालय ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि मामले को स्वप्रेरणा से जनहित याचिका (Suo Moto Public Interest Litigation ) के रूप में क्रमांकित किया जाए।
- न्यायालय ने अधिवक्ता बृजेश त्रिवेदी से अनुरोध किया कि वे इस स्वप्रेरणा जनहित याचिका की एक प्रति अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत और राजकोट नगर निगमों के पैनल अधिवक्ताओं के साथ-साथ गुजरात राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता (Additional Advocate General) को भी उपलब्ध कराएं।
- स्वप्रेरणा से ली गई याचिका को 27 मई को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए न्यायालय ने आगे निर्देश दिया, “संबंधित निगमों (corporations )के पैनल अधिवक्ता हमारे समक्ष निर्देशों के साथ उपस्थित होंगे कि कानून के किस प्रावधान के तहत इन निगमों ने इन गेमिंग क्षेत्रों/मनोरंजक सुविधाओं को स्थापित करने और जारी रखने तथा उपयोग में लाने की अनुमति दी।”
- “जैसा कि समाचार पत्रों की रिपोर्टों से पता चलता है कि इन क्षेत्रों ने जी.डी.सी.आर. में खामियों का फायदा उठाया है, राज्य और निगम क्रमशः हमें बताएंगे कि किस तरह से और क्या इन संबंधित क्षेत्रों द्वारा अग्नि सुरक्षा विनियमों के अनुपालन सहित ऐसे लाइसेंस जारी किए गए थे, जो इन निगमों के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में हैं।”
- अधिवक्ता अमित पांचाल ने पीठ के समक्ष एक नोट दायर कर रिट याचिका पीआईएल 118/2020 में एक सिविल आवेदन को तत्काल प्रसारित करने का अनुरोध किया था, जो लंबित है और अग्नि सुरक्षा के मुद्दे को संबोधित करता है।
इस प्रकार न्यायालय ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि इस सिविल आवेदन को स्वप्रेरणा याचिका के साथ प्रसारित किया जाए तथा दोनों को कल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।
गुजरात में इस तरह के हादसे पहले भी हो चुकें हैं। गेम ज़ोन में आग लगने के बाद इन हादसों की याद ताजा हो गई हैं।